ओ रे बारिश कभी तुम जोर कभी कमजोर बरसो,
कभी तुम धीर कभी गंभीर बरसो,
कभी तुम इत कभी उत बरसो,
मर्जी तुम्हारी है...
पर बनके हमारी प्रीत बरसो,
ये अर्जी हमारी है...
ओ रे बारिश तेरे आने से खुश हो जाता है जग सारा,
खुशियों का नहीं दिखता कोई किनारा,
हर पहाड़ हर पर्वत तूने ही उनकी सुंदरता को है निखारा,
हर जंगल, वन, सहरा उनसे तेरा रिश्ता है गहरा,
तू ही है उनके लिए जीवन सारा,
तू ही है उनका जीने का सहारा,
पर कभी कभी तेरा यू क्रोध सा बरसना,
और ना जाने कितने घरों का उजड़ना,
बस यहीं है दिल का रोना,
मर्जी तुम्हारी है...
पर बनके हमारी जिंदगी बरसो,
ये अर्जी हमारी है...
ओ रे बारिश कही तुम बूंद बूंद कही सैलाब सी बरसो,
कही तुम खुशियों सी कही आंसुओ सी बरसो, मर्जी तुम्हारी है...
पर हर जगह बनके हमारी प्रीत बरसो,
ये अर्जी हमारी है...
ओ रे बारिश तेरे आने से हर किसान का खुशी से झूम उठना,
हर फूल और पत्तों का खिलखिलाना,
हर पशु हर पक्षी के जीवन में आ जाती है खुशहाली,
हर गांव हर शहर में छा जाती है हरियाली,
तेरे गम में कई तालाब,नदियां,झरनों का सूख जाना,
और तेरे आने से हर तालाब,नदियां,झरनों का खुशियों से उछलना,
पर तेरी क्रोध सी बरसात से जिनका अपनी जलधारा को रोक नहीं पाना,
जिनके कारण कितने गांव,शहर,खेतों की फसलों का उजड़ना,
कितनी ज़िंदगियो का यू ही मर जाना,
बस यहीं है दिल का रोना,
मर्जी तुम्हारी है...
पर बनके हमारी जिंदगी बरसो,
ये अर्जी हमारी है...
ओ रे बारिश कभी तुम आँख मिचौली या पकडा पकडी बरसो,
कही तुम सूखा करदो जैसे एक बूंद भी ना बरसो, मर्जी तुम्हारी है...
पर हर जगह बनके हमारी प्रीत बरसो,
ये अर्जी हमारी है...
कभी ढक के सूरज की रोशनी है छाया,
हर तरफ है बस काले बादलों का साया,
कई दिनों तक हम तेरी और देखते रहे,
पर तुम हमे ललचाती रही, तरसाती रही,
अब बरसेगी, तब बरसेगी,
मगर बिना एक बूंद बरसाये,
यू ही निकल गया कारवां सारा,
और बना दिया मजाक हमारा,
बस यही देख दिल रोया हमारा,
मर्जी तुम्हारी है...
पर बनके हमारी जिंदगी बरसो,
ये अर्जी हमारी है...
ओ रे बारिश कभी तुम खिलता कमल बरसो,
या बनके होठों की मुस्कान बरसो,
तुम भीग के तन बरसो,
या भर के मन बरसो,
मर्जी तुम्हारी है...
पर बनके हमारी प्रीत बरसो,
ये अर्जी हमारी है...
1 Comments
Jordar Awesome
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