देखना आज जमीन पर चांद उतरेगा...
काले अंधेरे और टिमटिमाते तारों के बीच मे,
एक खूबसूरत ख्वाब उतरेगा...
देखना आज जमीन पर चांद उतरेगा...
काले लिबास मे एक उजली रोशनी बनकर कोई बिखरेगा...
देखना आज जमीन पर चांद उतरेगा...
उसकी खुली जुल्फों को लहराते हुए,
एक हल्का हवा का झोंका यू गुजरेगा...
देखना आज जमीन पर चांद उतरेगा...
नीला हो पीला हो या काला,हर रंग उस पर जचेगा...
बिना कोई श्रींगार किए भी,वो चौदहवीं का चांद ही दिखेगा...
देखना आज जमीन पर ऐसा चांद उतरेगा...
उसके माथे की बिंदिया,नैनो मे लगा काजल,
उसके कानों की बाली,नाक की नथ,
और गले मे हार चमकेगा...
देखना आज जमीन पर चांद उतरेगा...
वहाँ सामने से मृगनयनी की चाल चलते हुए,
पैरो की पायल झनकाते हुए,
एक हसीन सा चेहरा यू निकलेगा...
देखना आज जमीन पर चांद उतरेगा...
हाथों की चूडिय़ां खनकाते हुए,
आंखों के अलग अंदाज लिए,
एक कोहिनूर मेरे पास से गुजरेगा...
देखना आज जमीन पर चांद उतरेगा...
थोड़ा छिपते छिपाते थोड़ा शर्माते हुए,
होठों पर प्यारी सी मुस्कान लिए,
उस चेहरे का नूर बस मुझपर ही बरसेगा...
देखना आज जमीन पर चांद उतरेगा...
उसकी खुशबु से भले ही सारा गुलशन महकेगा...
पर उसकी हर अदाओं का जादू तो बस मुझपर ही बिखरेगा...
देखना आज जमीन पर एसा चांद उतरेगा...
...VIMALMPATEL
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