आज भी याद है वो मुलाकात...



चलो ख़त्म हुआ दूसरे भाग का इंतज़ार...
अब तीसरे भाग में होगा मोहब्बत का इज़हार...

आज भी याद है वो मुलाकात वो चाहत वो इज़हार...

कई बार सोचा मैंने आज बता दूंगा उसे अपने दिल का हाल...
फिर चाहे वो हा कर दे या कर दे मेरे गाल को चाटे से लाल...

लेकिन हर बार उसे देखते ही मैं थोड़ा डर जाता था...
उसकी ओर बढता था,
मगर जाने क्यूं कब बेखबर हो जाता था...
वो मेरे सामने ठंडी हवा सी गुजरती थी और मैं बर्फ सा जम जाता था...
रोज अपने दिल को ये कह कर मनाता था...
अच्छा नहीं था दिन आज...
कल से करना तुम आगाज...

फिर आ गया वह दिन,
वह दिन था वेलेंटाइन...
दिल ने कहा बस यही दिन है सबसे फाइन...

मेरे यारों ने मेरी थोड़ी हिम्मत बढ़ाई...
और जैसे ही वो मेरे सामने आई...

जुटा के हिम्मत मैंने कर दिया उससे अपनी मोहब्बत का इज़हार...
तू ही है मेरा पहला और मेरा आखरी प्यार...
क्या तू मुझे दे सकती है अपने प्यार का उपहार...
मैं तुझसे बेपनाह मोहब्बत करता हूँ और करता रहूंगा...
तुझे दुनिया की हर खुशी देने को जीता रहूंगा...
तेरी ना पर मैं बिना कोई गिला शिकवा किये चल दूंगा...
और तेरी हा पर मैं खुशी के मारे झूम लूंगा...
तेरे अधरों से निकलते उस शब्द को मैं सुनने को बेकरार हूँ...
और वो शब्द बस मेरा प्यार हो मैं हर जन्म में तेरा होने को तैयार हूँ...

फिर वो भी थोडी शर्माती थोडी मुस्कुराती हुई बोली...
मैं सब जानती हूँ समझो ना मुझे तुम भोली...

वो आपका चौराहे से लेकर...
कॉलेज और मेरे घर तक का सफर...
रोज मुझे चुपके से देखना...
और जब मैं देखू तो पेपर या पेड़ के पीछे छुप जाना...
अरे ऐसा भी क्या शर्माना...

जबसे देखा था तबसे मैंने आपको ही अपना माना था...
मुझे भी आपके साथ किसी बाग में कोई प्रेमगीत गाना था...
जिस दिन हम पहली बार मिले थे,
उस दिन मैं गुस्से से बहुत कुछ बोलती रही...
ये तो एक बहाना था,
इस बहाने मैं आपको जी भर देखती रही...

जब हम अपने अपने रास्ते जा रहे थे तब,
मेरी आँखों में थी नमी और दिल में था आपका ही खयाल...  
अब कब मुलाकात होगी ये सोचकर बुरा था मेरा हाल...  
तबसे उस रास्ते पर मैं आपको ही ढूंढती थी...
पर रोज मायूस होकर अपने घर लौटती थी...

फिर आ गया वह एक दिन...
वह दिन था सबसे बहतरीन...

जब आपने मेरा पीछा किया था...
तब मैंने स्कूटर के आईने में आपको पीछे आते देख लिया था...
यह देख मैं तो मन ही मन मुस्काई थी...
उस रात मुझे चैन की नींद आई थी...

फिर मैंने भी पता कर लिया था,
मोहन है आपका नाम...
मुझे ही याद करते है सुबह हो या शाम...
मैं आपकी राधा तो नहीं मीरा है मेरा नाम...
मेरे लिये तो आप ही मेरे मोहन मेरे घनश्याम...

मैं भी आपको जीवनभर करती रहूंगी बेपनाह प्यार...
बस ऐसे जुड़ गये मोहन संग मीरा के प्यार भरे तार...

आज भी याद है वो मुलाकात वो चाहत वो इज़हार... 


To Be Continued
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