दिल मैं है मेरे दोस्त की सुंदर सी छबि...
पहेले था जो मेरे लिये अजनबी...
आज है वो मेरे दिल का सबसे करीबी...
हमने साथ में बिताए हर पल हो जाते है गुलाबी...
एक दिन भी अगर हम ना मिले तो बढ़ जाती है बेताबी...
बंद हो जाता है जब मेरे दिमाग का ताला तो वो उसे खोल देता है बनके चाबी...
मेरे दोस्त के प्यार की कोई गिनती नहीं ये तो है बेहिसाबी...
मैने तो महसूस की है दोस्त की दोस्ती जिन्होंने नहीं की महसूस उन्हें लगती है बाते किताबी...
मेरे हर दुःख में मेरी परछाईं बन जाता है जब सारे रिश्ते बन जाते है मतलबी...
आज तो हम अपनी-अपनी जिंदगी में उलझे है लेकिन एक आवाज पर दौडता चला आए ऐसा है वो करीबी...
दिल मैं है मेरे दोस्त की सुंदर सी छबि...
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